मध्य प्रदेश में भावांतर भुगतान योजना को फिर से लागू करने की तैयारी चल रही है, जिससे किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिल सके। भावांतर भुगतान योजना के तहत सरकार MSP और बाजार मूल्य के बीच अंतर की राशि सीधे किसानों के खातों में जमा करेगी, जिससे उन्हें आर्थिक सुरक्षा और बेहतर लाभ मिलेगा। यह भावांतर योजना किसानों के लिए नई संभावनाएं लेकर आ सकती है।
मध्य प्रदेश भावांतर भुगतान योजना: फिर से चर्चा में
मध्य प्रदेश में किसानों के लिए 7 साल पहले प्याज, दलहन, और तिलहन जैसी फसलों के लिए शुरू की गई भावांतर भुगतान योजना एक बार फिर सुर्खियों में है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक साल में बंद हो चुकी इस योजना को दोबारा लागू करने पर मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में चर्चा हुई।
मंत्रियों ने सुझाव दिया कि अगर इस योजना को दोबारा लागू किया जाता है, तो सरकार को अनावश्यक अनाज खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इसके अंतर्गत किसान अपने अनाज को बाजार में बेच सकेगा, जिससे सरकार को नुकसान कम होगा। यदि किसान का अनाज समर्थन मूल्य से कम कीमत पर बिकता है, तो उसे इस योजना के तहत मुआवजा मिलेगा, जिससे उसे आर्थिक सुरक्षा मिलेगी।
किसानों के खातों में मिलेगा भावांतर का भुगतान
मध्य प्रदेश की भावांतर भुगतान योजना में किसानों को फसलों की MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और विक्रय मूल्य के बीच के अंतर का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में किया जाएगा। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इस योजना की चर्चा की पहल उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने की।
कैबिनेट बैठक में, जब खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम को ब्याज प्रतिपूर्ति के लिए क्रेडिट देने की बात सामने आई, तो मंत्री परमार ने सुझाव दिया कि मध्य प्रदेश में भावांतर योजना को फिर से लागू करना उचित रहेगा। उनका कहना था कि इस योजना से सरकारी अनाज खरीद में कमी आएगी और सरकार को आर्थिक नुकसान कम होगा। साथ ही, यदि भावांतर भुगतान योजना लागू होती है, तो किसान अपने अनाज को बाजार में बेच सकेगा, जिससे उसे बेहतर मूल्य मिल सकेगा।
क्या थी मध्य प्रदेश की भावांतर भुगतान योजना?
2017 में मध्य प्रदेश की तत्कालीन शिवराज सरकार ने किसानों को फसल की कीमतों में उतार-चढ़ाव से बचाने के लिए मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना शुरू की थी। इस योजना का उद्देश्य किसानों को मंडियों में मूल्य गिरावट के दौरान आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना था।
इस योजना के अंतर्गत, यदि किसान को मंडी में उसकी फसल का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) या औसत आदर्श दर से कम मिलता, तो सरकार इस अंतर की राशि सीधे किसान के बैंक खाते में जमा करती थी।
प्रायोगिक रूप से खरीफ 2017 में लागू की गई इस योजना में सोयाबीन, मूंगफली, तिल, राम तिल, मक्का, मूंग, उड़द, और तुअर जैसी प्रमुख फसलों को शामिल किया गया था, जिससे किसानों को उचित मूल्य दिलाने का प्रयास किया गया।
भावांतर योजना क्यों हुई थी बंद?
मध्य प्रदेश में किसानों को उनकी फसलों का सही मूल्य दिलाने के उद्देश्य से शुरू की गई भावांतर भुगतान योजना मात्र एक साल बाद ही बंद कर दी गई थी। तत्कालीन कृषि मंत्री सचिन यादव ने इस योजना को बंद करने का निर्णय लेते हुए कहा कि इसके स्थान पर ऐसी नई नीतियां लाई जाएंगी, जो किसानों की आय में सुधार और फसलों के लिए बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने में अधिक प्रभावी साबित होंगी।
सचिन यादव ने यह भी बताया कि भाजपा सरकार द्वारा लाई गई यह योजना किसानों के वास्तविक हितों को ध्यान में रखकर नहीं बनाई गई थी। उनके अनुसार, योजना लागू होने के बाद से ही किसानों की फसलों के दामों में गिरावट आने लगी, जिससे किसानों को उचित लाभ नहीं मिल पा रहा था। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी समर्थन के बावजूद किसानों को नुकसान हो रहा था, जिसके चलते इस योजना को बंद करने का निर्णय लिया गया।
किसानों को होगा लाभ: मध्य प्रदेश भावांतर भुगतान योजना
भावांतर भुगतान योजना से किसानों को पारंपरिक फसलों, जैसे गेहूं और धान से हटकर उद्यानिकी फसलों की ओर जाने का प्रोत्साहन मिलेगा। वर्तमान में किसान आमतौर पर उन फसलों की ओर झुकाव रखते हैं, जिनका समर्थन मूल्य (MSP) घोषित किया जाता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदयप्रताप सिंह ने सुझाव दिया है कि इस योजना पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार आवश्यकता से अधिक गेहूं खरीद रही है, ऐसे में यह योजना अनाज खरीद के बोझ को कम कर सकती है और किसानों को विविध फसलों की ओर बढ़ावा दे सकती है।